ऐसे लोगों के घर के पास रहती है गंदगी

अंगूठा छोटा और कम खुलने वाला हो, अंगुलियां टेढ़ी-मेढ़ी हों तो ऐसे व्यक्ति का निवास स्थान गंदी जगह पर होता है। हाथ कठोर और निम्न स्तर का हो, अंगूठा कम खुलता हो तथा मस्तिष्क रेखा दोषपूर्ण हो तो भी निवास स्थान छोटा और गंदी जगह पर होता है। यदि जीवन रेखा और मस्तिष्क दोनों दोषपूर्ण हों, अंगुलियां मोटी हों और अंगूठा कम खुलता हो तो इनके घर के पास गंदगी होती है और पड़ोसी भी अच्छे नहीं होते। हाथ पतला, काला, कठोर, ऊबड़-खाबड़ हो, अगूंठा छोटा और अंगुलियां मोटी हों तो ऐसे व्‍यक्‍तियों का घर भी अच्‍छी जगह नहीं होता। इनके घर पहुंचने वाली गली संकरी होती हैं।


आचार्य दिनेश भारद्वाज के मुताबिक जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा दोनों ही मोटी हों तो ऐसे लोगों के घर के पास जानवारों के बाडे के कारण गंदगी होती है। यदि जीवन रेखा गोलाकार हो और उसमें त्रिभुज भी हो तथा मस्तिष्क रेखा शाखान्वित, हाथ कोमल हो तो ऐसे लोगों का मकान सुंदर और बड़े आकार का होता है। यदि साधारण मस्तिष्क रेखा मंगल या चंद्रमा पर जाती हो तो ऐसे लोग पैतृक घर में ही निवास करते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा शाखान्वित हो तो पहले पैतृक घर में, फिर दूसरे घर में निवास करते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा दोनों हाथों में द्वि-शाखाकार हो तो मकान या संपत्ति की संख्‍या अधिक होती है। यदि मस्तिष्क रेखा अंत में द्वि-शाखाकार हो, सूर्य और बृहस्पति की अंगुलियां तिरछी हों तो मकान का दरवाजा आबादी की ओर होता है। यदि मस्तिष्क रेखा अतं में द्वि-शाखाकार हो और शनि की अंगुली लंबी हो तो मकान का दरवाजा कम आबादी की ओर होता है।